गुरु मंत्र के अंदर अद्भुत शक्ति समाहित होती है , परन्तु सभी को इस विषय में पता न होने के कारण बहुत से शिष्य जान ही नही पाते की उनके पास क्या अद्भुत है । गुरु मंत्र का अर्थ है गुरु मुख द्वारा दिया हुआ मन्त्र जो की गुरु को अपने गुरु से मिला होता है , या गुरु उस मन्त्र में अपनी सिद्धियों की ऊर्जा को संचालित कर शिष्य के दाहिने कान में फूंक मार कर अपनी ऊर्जा का संचालन करता है । गुरु मंत्र वैसे तो हर अवस्था में कार्य करता है परन्तु यदि इसे जाग्रत कर लिया जाए तो विशेष फल मिलता है , जाग्रत किस प्रकार करें ? किसी भी शुभ समय में या तो संकल्प ले कर या बिना संकल्प के गुरु मंत्र अनुष्ठान करें , जिसमे 1 लाख 25 हजार जप आवश्यक है ।परन्तु इतना भी न हो तो 51 हजार का संकल्प ले कर या बिना संकल्प जप कर सकते है । अंतिम दिन 10 अंश जाप के अनुसार हवन या 1008 आहुति कम से कम करनी ही है , इस क्रिया से गुरु मन्त्र चैतन्य हो जाता है और जो हवन कुंड की भस्म है वो अद्भुत रूप से गुरु मंत्र शक्ति समाहित किये होती है यदि किसी प्रेत बाधित व्यक्ति को वो भस्म खिला दो तो ठीक हो जाता है ...
भारत में कई समाज या जाति के कुलगुरु, कुलदेवी और देवता होते हैं। इसके अलावा पितृदेव भी होते हैं। भा होते हैं अलग-अलग, क्या है इनका महत्वरतीय लोग हजारों वर्षों से अपने कुलगुरु, कुलदेवी और देवता की पूजा करते आ रहे हैं। कुलगुरु, कुलदेवी और देवता को पूजने के पीछे एक गहरा रहस्य है, जो बहुत कम लोग जानते होंगे। आइए जानते हैं कि सभी के कुलदेवी-देवता अलग क्यों होते हैं और उन्हें क्यों पूजना जरूरी होता है? ( जानें क्या है महत्व ) जन्म, विवाह आदि मांगलिक कार्यों में कुलगुरु, कुलदेवी या देवताओं के स्थान पर जाकर उनकी पूजा की जाती है या उनके नाम से स्तुति की जाती है। इसके अलावा एक ऐसा भी दिन होता है जबकि संबंधित कुल के लोग अपने कुलगुरु, कुलदेवी के स्थान पर इकट्ठा होते हैं। जिन लोगों को अपने कुलदेवी और देवता के बारे में नहीं मालूम है या जो भूल गए हैं, वे अपने कुल की शाखा और जड़ों से कट गए हैं। सवाल यह है कि कुलगुरु, कुलदेवी और कुलदेवी सभी के अलग-अलग क्यों ह...