महाबली बाबा हनुमान जी की कथा.....
एक दिन हनुमानजी जब , सीताजी की शरण में आए.!
नैनों में जल भरा हुआ है , बैठ गए शीश झुकाए.!!
सीता जी ने पूछा उनसे , कहो लाडले बात क्या है.!
किस कारण ये छाई उदासी , नैनों में क्यों नीर भरा है.!!
हनुमान जी बोले , मैया आपनें कुछ वरदान दिए हैं.!
अजर अमर की पदवी दी है और बहुत सम्मान दिए हैं.!
अब मैं उन्हें लौटानें आया , मुझे अमर पद नहीं चाहिए.!
दूर रहूं मैं श्री चरणों से , ऐसा जीवन नहीं चाहिए.!!
सीता जी मुस्काकर बोली , बेटा ये क्या बोल रहे हो.!
अमृत को तो देव भी तरसे , तुम काहे को डोल रहे हो.!
इतने में श्रीराम प्रभु आ गए और बोले.!
क्या चर्चा चल रही है , मां और बेटे में.!!
सीताजी बोली सुनो नाथ जी.!
ना जाने क्या हुआ हनुमान को.!
पदवी अजर - अमर , लौटानें आया है ये मुझको.!!
राम जी बोले क्यों बजरंगी , ये क्या लीला नई रचाई.!
कौन भला छोड़ेगा , अमृत की ये अमर कमाई.!!
हनुमानजी रोकर बोले , आप साकेत पधार रहे हो.!
मुझे छोड़कर इस धरती पर , आप वैकुंठ सिधार रहे हो.!
आप बिना क्या मेरा जीवन , अमृत का विष पीना होगा.!
तड़प-तड़प कर विरह अग्नि में , जीना भी क्या जीना होगा.!
प्रभु अब आप ही बताओ , आप के बिना मैं यहां कैसे रहूंगा.!!
प्रभु श्रीराम बोले :
हनुमान सीता का यह वरदान , सिर्फ आपके लिए ही नहीं है.!
बल्कि यह तो , संसार भर के कल्याण के लिए है.!
तुम यहां रहोगे और संसार का कल्याण करोगे.!
मांगो हनुमान वरदान मांगो.!!
हनुमान जी बोले :
जहां जहां पर आपकी कथा हो , आपका नाम हो.!
वहां-वहां पर मैं उपस्थित होकर , हमेशा आनंद लिया करूं.!!
सीताजी बोलीं : दे दो , प्रभु दे दो.!
भगवान राम नें हंसकर कहा : तुम नहीं जानती सीते.!
ये क्या मांग रहा है , ये अन्गिनत शरीर मांग रहा है.!
जितनी जगह मेरा पाठ होगा , उतनें शरीर मांग रहा है.!!
सीताजी बोलीं : दे दो फिर क्या हुआ , आपका लाडला है.!
प्रभु श्रीराम बोले : तुम्हरी इच्छा पूर्ण होगी.!
वहां विराजोगे बजरंगी , जहां हमारी चर्चा होगी.!
कथा जहां पर राम की होगी , वहां ये राम दुलारा होगा.!
जहां हमारा चिंतन होगा , वहां पर जिक्र तुम्हारा होगा.!!
कलयुग में मुझसे भी ज्यादा , पूजा हो हनुमान तुम्हारी.!
जो कोई तुम्हरी शरण में आए , भक्ति उसको मिले हमारी.!
मेरे हर मंदिर की शोभा बनकर , आप विराजोगे.!
मेरे नाम का सुमिरन करके , सुध बुध खोकर नाचोगे.!!
नाच उठे ये सुन बजरंगी , चरणन शीश नवाया.!
दुख-हर्ता , सुख-कर्ता प्रभु का , प्यारा नाम ये गाया.!
जय सियाराम , जय जय सियाराम.!
जय सियाराम , जय जय सियाराम.!!
।। जय श्रीराम ।।
एक दिन हनुमानजी जब , सीताजी की शरण में आए.!
नैनों में जल भरा हुआ है , बैठ गए शीश झुकाए.!!
सीता जी ने पूछा उनसे , कहो लाडले बात क्या है.!
किस कारण ये छाई उदासी , नैनों में क्यों नीर भरा है.!!
हनुमान जी बोले , मैया आपनें कुछ वरदान दिए हैं.!
अजर अमर की पदवी दी है और बहुत सम्मान दिए हैं.!
अब मैं उन्हें लौटानें आया , मुझे अमर पद नहीं चाहिए.!
दूर रहूं मैं श्री चरणों से , ऐसा जीवन नहीं चाहिए.!!
सीता जी मुस्काकर बोली , बेटा ये क्या बोल रहे हो.!
अमृत को तो देव भी तरसे , तुम काहे को डोल रहे हो.!
इतने में श्रीराम प्रभु आ गए और बोले.!
क्या चर्चा चल रही है , मां और बेटे में.!!
सीताजी बोली सुनो नाथ जी.!
ना जाने क्या हुआ हनुमान को.!
पदवी अजर - अमर , लौटानें आया है ये मुझको.!!
राम जी बोले क्यों बजरंगी , ये क्या लीला नई रचाई.!
कौन भला छोड़ेगा , अमृत की ये अमर कमाई.!!
हनुमानजी रोकर बोले , आप साकेत पधार रहे हो.!
मुझे छोड़कर इस धरती पर , आप वैकुंठ सिधार रहे हो.!
आप बिना क्या मेरा जीवन , अमृत का विष पीना होगा.!
तड़प-तड़प कर विरह अग्नि में , जीना भी क्या जीना होगा.!
प्रभु अब आप ही बताओ , आप के बिना मैं यहां कैसे रहूंगा.!!
प्रभु श्रीराम बोले :
हनुमान सीता का यह वरदान , सिर्फ आपके लिए ही नहीं है.!
बल्कि यह तो , संसार भर के कल्याण के लिए है.!
तुम यहां रहोगे और संसार का कल्याण करोगे.!
मांगो हनुमान वरदान मांगो.!!
हनुमान जी बोले :
जहां जहां पर आपकी कथा हो , आपका नाम हो.!
वहां-वहां पर मैं उपस्थित होकर , हमेशा आनंद लिया करूं.!!
सीताजी बोलीं : दे दो , प्रभु दे दो.!
भगवान राम नें हंसकर कहा : तुम नहीं जानती सीते.!
ये क्या मांग रहा है , ये अन्गिनत शरीर मांग रहा है.!
जितनी जगह मेरा पाठ होगा , उतनें शरीर मांग रहा है.!!
सीताजी बोलीं : दे दो फिर क्या हुआ , आपका लाडला है.!
प्रभु श्रीराम बोले : तुम्हरी इच्छा पूर्ण होगी.!
वहां विराजोगे बजरंगी , जहां हमारी चर्चा होगी.!
कथा जहां पर राम की होगी , वहां ये राम दुलारा होगा.!
जहां हमारा चिंतन होगा , वहां पर जिक्र तुम्हारा होगा.!!
कलयुग में मुझसे भी ज्यादा , पूजा हो हनुमान तुम्हारी.!
जो कोई तुम्हरी शरण में आए , भक्ति उसको मिले हमारी.!
मेरे हर मंदिर की शोभा बनकर , आप विराजोगे.!
मेरे नाम का सुमिरन करके , सुध बुध खोकर नाचोगे.!!
नाच उठे ये सुन बजरंगी , चरणन शीश नवाया.!
दुख-हर्ता , सुख-कर्ता प्रभु का , प्यारा नाम ये गाया.!
जय सियाराम , जय जय सियाराम.!
जय सियाराम , जय जय सियाराम.!!
।। जय श्रीराम ।।
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