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Showing posts from 2019

गुरु मंत्र की अद्भुत शक्ति

    गुरु मंत्र के अंदर अद्भुत शक्ति समाहित होती है , परन्तु सभी को इस विषय में पता न होने के कारण बहुत से शिष्य जान ही नही पाते की उनके पास क्या अद्भुत है । गुरु मंत्र का अर्थ है गुरु मुख द्वारा दिया हुआ मन्त्र जो की  गुरु को अपने गुरु से मिला होता है , या गुरु उस मन्त्र में अपनी सिद्धियों की ऊर्जा को संचालित कर शिष्य के दाहिने कान में फूंक मार कर अपनी ऊर्जा का संचालन करता है । गुरु मंत्र वैसे तो हर अवस्था में कार्य करता है परन्तु यदि इसे जाग्रत कर लिया जाए तो विशेष फल मिलता है , जाग्रत किस प्रकार करें ? किसी भी शुभ समय में या तो संकल्प ले कर या बिना संकल्प के गुरु मंत्र अनुष्ठान करें ,  जिसमे 1 लाख 25 हजार जप आवश्यक है ।परन्तु इतना भी न हो तो 51 हजार का संकल्प ले कर या बिना संकल्प जप कर सकते है । अंतिम दिन 10 अंश जाप के अनुसार हवन  या 1008 आहुति कम से कम करनी ही है , इस क्रिया से गुरु मन्त्र चैतन्य हो जाता है और जो हवन कुंड की भस्म है वो अद्भुत रूप से गुरु मंत्र शक्ति समाहित किये होती है यदि किसी प्रेत बाधित व्यक्ति को वो भस्म खिला दो तो ठीक हो जाता है ...

कुलगुरू, कुलदेवता कुलदेवी क्‍यों .....

भारत में कई समाज या जाति के कुलगुरु, कुलदेवी और देवता होते हैं। इसके अलावा पितृदेव भी होते हैं। भा होते हैं अलग-अलग, क्‍या है इनका महत्‍वरतीय लोग हजारों वर्षों से अपने कुलगुरु, कुलदेवी और देवता की पूजा करते आ रहे हैं। कुलगुरु, कुलदेवी और देवता को पूजने के पीछे एक गहरा रहस्य है, जो बहुत कम लोग जानते होंगे। आइए जानते हैं कि सभी के कुलदेवी-देवता अलग क्यों होते हैं और उन्हें क्यों पूजना जरूरी होता है?                                       ( जानें क्‍या है महत्‍व  ) जन्म, विवाह आदि मांगलिक कार्यों में कुलगुरु, कुलदेवी या देवताओं के स्थान पर जाकर उनकी पूजा की जाती है या उनके नाम से स्तुति की जाती है। इसके अलावा एक ऐसा भी दिन होता है जबकि संबंधित कुल के लोग अपने कुलगुरु, कुलदेवी के स्थान पर इकट्ठा होते हैं। जिन लोगों को अपने कुलदेवी और देवता के बारे में नहीं मालूम है या जो भूल गए हैं, वे अपने कुल की शाखा और जड़ों से कट गए हैं। सवाल यह है कि कुलगुरु, कुलदेवी और कुलदेवी सभी के अलग-अलग क्यों ह...
(मोहिनी एकादशी का महत्व)  मोहिनी एकादिशी को सभी एकादशीयों में सबसे ऊंचा स्थान प्राप्त है। इस एकादशी का व्रत रखने से न केवल मनुष्य के सभी कष्टों का निवारण होता है । बल्कि उसे मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। इसलिए प्रत्यके व्यक्ति को इस मोहिनी एकादशी का व्रत अवश्य रखना चाहिए। पुराणों के अनुसार मोहिनी एकादशी के बारें में बताया गया है कि जब रावण ने सीता माता का हरण कर लिया था । उस समय प्रभु श्री राम सीता माता के वियोग के दुख से तड़प रहे थे। जिसके बाद अपने दु:खों से मुक्ति पाने के लिए श्रीराम नें मोहिनी एकादशी व्रत किया था इतना ही नहीं, पांडवों के ज्येष्ठ भ्राता युद्धिष्ठिर ने भी अपने दु:खों से छुटकारा पाने के लिए पूरे विधि विधान से मोहिनी एकादशी का व्रत को किया था। जिसके बाद उन्हें अपने सभी दुखों से छुटकारा मिल गया था।  मोहिनी एकादशी  (व्रत कथा)                                           सभी दुखों से तारने वाली मोहिनी एकादशी की व्रत कथा की इस प्रकार है। एक समय में भ...

महाबली बाबा हनुमान जी की कथा.....

महाबली बाबा हनुमान जी की कथा..... एक दिन हनुमानजी जब , सीताजी की शरण में आए.! नैनों में जल भरा हुआ है , बैठ गए शीश झुकाए.!! सीता जी ने पूछा उनसे , कहो लाडले बात क्या है.! किस कारण ये छाई उदासी , नैनों में क्यों नीर भरा है.!! हनुमान जी बोले , मैया आपनें कुछ वरदान दिए हैं.! अजर अमर की पदवी दी है और बहुत सम्मान दिए हैं.! अब मैं उन्हें लौटानें आया , मुझे अमर पद नहीं चाहिए.! दूर रहूं मैं श्री चरणों से , ऐसा जीवन नहीं चाहिए.!! सीता जी मुस्काकर बोली , बेटा ये क्या बोल रहे हो.! अमृत को तो देव भी तरसे , तुम काहे को डोल रहे हो.! इतने में श्रीराम प्रभु आ गए और बोले.! क्या चर्चा चल रही है , मां और बेटे में.!! सीताजी बोली सुनो नाथ जी.! ना जाने क्या हुआ हनुमान को.! पदवी अजर - अमर , लौटानें आया है ये मुझको.!! राम जी बोले क्यों बजरंगी , ये क्या लीला नई रचाई.! कौन भला छोड़ेगा , अमृत की ये अमर कमाई.!! हनुमानजी रोकर बोले , आप साकेत पधार रहे हो.! मुझे छोड़कर इस धरती पर , आप वैकुंठ सिधार रहे हो.! आप बिना क्या मेरा जीवन , अमृत का विष पीना होगा.! तड़प-तड़प कर विरह अग्नि में , ...

देवी बगलामुखी जयंती हर क्षेत्र में सफलता दिलाती है मां बगलामुखी

हर क्षेत्र में सफलता दिलाती है मां बगलामुखी आज यानी 12 मई को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस है। वैशाख शुक्ल अष्टमी को इस दिवस को मां बगलामुखी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रत एवं पूजा उपासना की जाती है। साधक को माता बगलामुखी की निमित्त पूजा-अर्चना एवं व्रत करना चाहिए। बगलामुखी जयंती पर्व देश भर में हर्षोल्लास व धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर जगह-जगह अनुष्ठान के साथ भजन संध्या एवं विश्व कल्याणार्थ महायज्ञ का आयोजन किया जाता है तथा महोत्सव के दिन शत्रुनाशिनी बगलामुखी माता का विशेष पूजन किया जाता है और रातभर भगवती जागरण होता है। स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री हैं माँ माँ बगलामुखी स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं। माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है, अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए। संस्क...

गंगा सप्तमी मां गंगा का अवतरण

हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार गंगा सप्तमी आज 11 मई को पड़ रही है. शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा का अवतरण हुआ था. गंगा स्तुति II जय जय भगीरथनन्दिनि, मुनि – चय चकोर – चन्दिनि, नर – नाग – बिबुध – बन्दिनि जय जह्नु बालिका । बिस्नु – पद – सरोजजासि, ईस – सीसपर बिभासि, त्रिपथगासि, पुन्यरासि, पाप – छालिका ॥१॥ बिमल बिपुल बहसि बारि, सीतल त्रयताप – हारि, भँवर बर बिभंगतर तरंग – मालिका । पुरजन पूजोपहार, सोभित ससि धवलधार, भंजन भव – भार, भक्ति – कल्पथालिका ॥२॥ निज तटबासी बिहंग, जल – थर – चर पसु – पतंग, कीट, जटिल तापस सब सरिस पालिका । तुलसी तव तीर तीर सुमिरत रघुबंस – बीर, बिचरत मति देहि मोह – महिष – कालिका ॥३॥ भावार्थः-– हे भगीरथनन्दिनि ! तुम्हारी जय हो, जय हो । तुम मुनियोंके समूहरुपी चकोरोंके लिये चन्द्रिकारुप हो । मनुष्य, नाग और देवता तुम्हारी वन्दना करते हैं । हे जह्नुकी पुत्री ! तुम्हारी जय हो । तुम भगवान् विष्णुके चरणकमलसे उत्पन्न हुई हो; शिवजीके मस्तकपर शोभा पाती हो; स्वर्ग, भूमि और पाताल – इन तीन मार्गोंसे तीन धाराओंमें होकर बहती हो । पु...