गुरु मंत्र के अंदर अद्भुत शक्ति समाहित होती है , परन्तु सभी को इस विषय में पता न होने के कारण बहुत से शिष्य जान ही नही पाते की उनके पास क्या अद्भुत है । गुरु मंत्र का अर्थ है गुरु मुख द्वारा दिया हुआ मन्त्र जो की गुरु को अपने गुरु से मिला होता है , या गुरु उस मन्त्र में अपनी सिद्धियों की ऊर्जा को संचालित कर शिष्य के दाहिने कान में फूंक मार कर अपनी ऊर्जा का संचालन करता है । गुरु मंत्र वैसे तो हर अवस्था में कार्य करता है परन्तु यदि इसे जाग्रत कर लिया जाए तो विशेष फल मिलता है , जाग्रत किस प्रकार करें ? किसी भी शुभ समय में या तो संकल्प ले कर या बिना संकल्प के गुरु मंत्र अनुष्ठान करें , जिसमे 1 लाख 25 हजार जप आवश्यक है ।परन्तु इतना भी न हो तो 51 हजार का संकल्प ले कर या बिना संकल्प जप कर सकते है । अंतिम दिन 10 अंश जाप के अनुसार हवन या 1008 आहुति कम से कम करनी ही है , इस क्रिया से गुरु मन्त्र चैतन्य हो जाता है और जो हवन कुंड की भस्म है वो अद्भुत रूप से गुरु मंत्र शक्ति समाहित किये होती है यदि किसी प्रेत बाधित व्यक्ति को वो भस्म खिला दो तो ठीक हो जाता है ...
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